तुलजा भवानी मंदिर: रामायण-महाभारत युग से जुड़ा:
मध्यप्रदेश के खंडवा में स्थित तुलजा भवानी माता मंदिर का संबंध रामायण और महाभारत काल से है। यहां विराजित मां भवानी की स्वयंभू मूर्ति को भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, अर्जुन और छत्रपति शिवाजी के साथ जोड़कर देखा जाता है। इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है, और इसे शक्ति पीठ माना जाता है।
रामायण और महाभारत कालीन मंदिर
तुलजा भवानी मंदिर: रामायण-महाभारत युग से जुड़ा यह प्राचीन मंदिर खंडवा के भवानी माता वार्ड में स्थित है। रामायण काल के दौरान भगवान श्रीराम ने अपने 14 वर्षों के वनवास में खांडव वन (वर्तमान खंडवा) में समय व्यतीत किया। श्रीराम ने इस मंदिर में नौ दिनों तक मां तुलजा भवानी की आराधना की और यहां से अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किए। इसके बाद, उन्होंने दक्षिण की ओर प्रस्थान किया। महाभारत काल में, भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने भी इस पवित्र स्थल पर मां की पूजा की थी। अर्जुन के धनुर्विद्या की परीक्षा के समय यहां अग्निदेव का अर्जीण रोग ठीक हुआ था, और देवी की शक्ति से इंद्र की वर्षा को भी रोका गया था।
शिवाजी को मिला था शमशीर वरदान
मां तुलजा भवानी मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी की आराध्य देवी रही हैं। माना जाता है कि इसी मंदिर में मां भवानी ने शिवाजी को शमशीर प्रदान की थी, जिससे उन्होंने मुगलों का सामना किया और मराठा साम्राज्य की स्थापना की। यह शमशीर शिवाजी के संघर्ष और विजय का प्रतीक है।
मां भवानी का दिव्य स्वरूप
मंदिर में मां तुलजा भवानी की अष्टभुजी प्रतिमा स्थापित है, जिसमें वे सिंह पर सवार होकर राक्षस का वध कर रही हैं। यह प्रतिमा भक्तों के लिए साक्षात सिद्धिदात्री के रूप में पूज्यनीय है। मंदिर के पुजारी के अनुसार, प्रतिदिन मां का अभिषेक और विशेष श्रृंगार किया जाता है। सुबह और रात आठ बजे महाआरती होती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं।
नवरात्रि पर विशेष आयोजन
नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं। सुबह से लेकर रात तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है। नवरात्रि के दौरान माता के दरबार में भक्तों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान मां का विशेष श्रृंगार और महाआरती का आयोजन किया जाता है, जिससे भक्तगण माता की कृपा का अनुभव करते हैं।
यह मंदिर न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है। रामायण, महाभारत, और मराठा इतिहास से जुड़े इस मंदिर का दर्शन करना एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव है।