टीकमगढ़ जिले के भगतपुरा गांव में तंत्र क्रिया की घटनाओं के बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। हाल ही में इस गांव में तंत्र क्रिया के चलते दो लोगों की मृत्यु हुई थी, जिसके बाद स्थानीय स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष कैंप आयोजित करने का निर्णय लिया है। मलेरिया अधिकारी ने गांव में पहुंचकर लार्वा का परीक्षण किया और ग्रामीणों के सैंपल लिए, जिनमें कुछ लोग डेंगू से संक्रमित पाए गए हैं।
तंत्र क्रिया से फैलती दहशत
भगतपुरा गांव में तंत्र क्रिया के आरोपों के चलते ग्रामीणों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है। गांव में शाम होते ही सन्नाटा छा जाता है, और लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं। जिला प्रशासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन की टीम ने हाल ही में गांव का दौरा किया, जहां अधिकारियों ने मृतकों के मेडिकल दस्तावेज पेश करते हुए बताया कि एक व्यक्ति की मौत डेंगू से और दूसरे की हड्डी बुखार से हुई है। हालांकि, ग्रामीण अब भी प्रशासन की बात पर विश्वास नहीं कर रहे हैं और मौतों को तंत्र क्रिया से जोड़कर देख रहे हैं।
स्वास्थ्य टीम की पहल
मलेरिया अधिकारी हरिमोहन रावत ने बताया कि उनकी टीम ने भगतपुरा गांव में आठ लोगों के सैंपल लिए, जिनमें से चार लोग डेंगू से संक्रमित पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अंधविश्वास के कारण कई लोग सैंपल देने के लिए तैयार नहीं थे। जिन चार लोगों में डेंगू के लक्षण पाए गए, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई, लेकिन ग्रामीण अभी भी इस बात पर यकीन नहीं कर रहे हैं कि उनके बीमार होने का कारण तंत्र क्रिया है।
लार्वा का परीक्षण
हरिमोहन रावत ने जानकारी दी कि गांव के 60 घरों में लार्वा परीक्षण किया गया, जिसमें 26 घरों में डेंगू के लार्वा पाए गए। मृतकों के घरों की पानी की टंकियों में भी डेंगू के लार्वा की मौजूदगी मिली। इसके अलावा, पलेरा ब्लॉक के बीसीएम कुणाल चतुर्वेदी और आशा सुपरवाइजर रानी पटेरिया को लार्वा टेस्ट और लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वे अपने कार्य में लापरवाह रहे हैं।
पुलिस की रात्रि गश्त
पलेरा पुलिस थाने के प्रभारी मनीष मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने गांव में जागरूकता बढ़ाने और दहशत कम करने के लिए रात्रि गश्त का आयोजन किया है। पुलिसकर्मियों ने ग्रामीणों को समझाया कि उन्हें अंधविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए और उनकी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए।
निष्कर्ष
इस घटना ने न केवल भगतपुरा गांव में स्वास्थ्य मुद्दों को उजागर किया है, बल्कि अंधविश्वास के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता भी सामने रखी है। स्वास्थ्य और प्रशासनिक टीमों की कोशिशें इस दिशा में सकारात्मक कदम हैं, लेकिन ग्रामीणों को सुरक्षित रखने और उनकी मानसिकता में बदलाव लाने के लिए लगातार प्रयास की आवश्यकता है।