जयपुर के रामगढ़ बांध में कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग का प्रयोग हाल ही में शुरू किया गया है। इस परियोजना का संचालन जेन एक्स एआई नामक एक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जो अगले 60 दिनों तक ड्रोन के माध्यम से कृत्रिम बारिश कराने का प्रयास करेगी। हालांकि, पहले दिन का परीक्षण सफल नहीं रहा, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह प्रयास किसानों और जलाशयों के लिए लाभकारी साबित होगा।
कंपनी के अनुसार, रामगढ़ बांध को भरने के लिए उसके कैचमेंट एरिया में व्यापक बारिश की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में अतिक्रमण के कारण पानी की आवक में बाधा उत्पन्न हो रही है। यह क्लाउड सीडिंग का प्रयोग एक पायलट प्रोजेक्ट है, और इसके सफल होने पर ही यह समझा जा सकेगा कि कृत्रिम बारिश से कितना पानी मिलेगा।
कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया में बादलों पर रसायन छिड़कने का काम किया जाता है, ताकि वे भारी होकर बारिश कर सकें। इस प्रयोग के लिए कंपनी ने सोडियम क्लोराइड का उपयोग किया है। हालांकि, पहले दिन के परीक्षण में ड्रोन को 400 फीट की ऊंचाई पर उड़ाया गया, जिससे बारिश नहीं हो सकी।
कंपनी का दावा है कि ड्रोन से क्लाउड सीडिंग करना अधिक सस्ता और नियंत्रित है, जिससे छोटे क्षेत्रों में बारिश कराना संभव है। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में भी इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि क्लाउड सीडिंग के पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर चिंता जताई जा रही है, और इसे स्थायी समाधान के रूप में नहीं देखा जा सकता।
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