गमछा डांस राजनीति के क्षेत्र में अनेक नाच-नाटक होते हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक नृत्य विधा खुद राजनीति को प्रभावित कर रही है। “गमछा नृत्य” नामक यह नई नृत्य शैली राजस्थान में हाल ही में लोकप्रिय हुई है, जिसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। अपने रंगीन अंदाज और लोक आकर्षण की वजह से गमछा नृत्य ने न सिर्फ राजनीतिक मंचों, बल्कि अन्य सांस्कृतिक अवसरों पर भी अपनी जगह बना ली है।
गमछा नृत्य की उत्पत्ति और इसकी विशेषता
गमछा नृत्य की शुरुआत को महज 10 महीने हुए हैं, लेकिन इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि इसे जानने वाले हर व्यक्ति इसके जनक के नाम से परिचित हैं। इस नृत्य को सीखने और प्रवीणता प्राप्त करने में समय और अभ्यास की जरूरत है। यह शैली अन्य पारंपरिक राजस्थानी नृत्य कलाओं जैसे घूमर, कालबेलिया, भवाई और तेरहताली की तरह धीरे-धीरे स्वीकार्यता की राह पर है। हालांकि, इसकी विशेषता इसे अन्य नृत्य शैलियों से अलग बनाती है, और इसी कारण इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
रोजगार की संभावना और युवा प्रतिभाओं के लिए अवसर
गमछा नृत्य की बढ़ती लोकप्रियता ने राजस्थान के बेरोजगार युवाओं के लिए एक नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। नर्तकियों की डिमांड तेजी से बढ़ने के कारण युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा अवसर बन गया है। इस नृत्य विधा में विशेषज्ञता प्राप्त करने के बाद वे इसे पेशेवर रूप से अपना सकते हैं और सांस्कृतिक, राजनीतिक और निजी समारोहों में अपनी कला का प्रदर्शन कर सकते हैं।
यह सरकार के लिए भी एक सुनहरा अवसर है। जिला स्तर पर गमछा नृत्य के स्कूल खोलकर युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने से रोजगार सृजन में काफी मदद मिल सकती है। यदि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाती है, तो स्थानीय स्तर पर रोजगार उत्पन्न करने के प्रयास को एक नई दिशा मिल सकती है।
गमछा निर्माण का समर्थन
इसके साथ ही, गमछा नृत्य को लोकप्रिय बनाने के लिए आवश्यक है कि इस नृत्य में इस्तेमाल होने वाले “गमछा” की भी व्यापक पैमाने पर उत्पादन हो। सरकार यदि भीलवाड़ा की किसी अच्छी कपड़ा फैक्ट्री को गमछों का उत्पादन करने का ऑर्डर देती है और पहले गमछे को मुफ्त में वितरित करती है, तो यह रोजगार सृजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे स्थानीय उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा और गमछा नृत्य की पहचान मजबूत होगी।
निष्कर्ष
गमछा नृत्य एक नई नृत्य शैली होने के साथ-साथ रोजगार की दृष्टि से भी एक बड़ी संभावना है। इसके माध्यम से न केवल युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर में एक नई कड़ी जोड़ सकता है। यदि सरकार समय पर इस दिशा में कदम बढ़ाती है, तो युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता की ओर एक नई राह खुल सकती है।