अजमेर दीयों की रौशनी में जुटे कारीगर दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही अजमेर के कुम्हार परिवार मिट्टी के दीये बनाने में जुट गए हैं। रोशनी के इस पर्व पर घर-घर रौशनी पहुंचाने के लिए ये कारीगर रोजाना हजारों दीये बना रहे हैं। अजमेर में कुम्हार समुदाय के लगभग 50 से अधिक परिवार इस काम में व्यस्त हैं, जिनका लक्ष्य है कि दीपावली से पहले हर घर में उनके बनाए दीये पहुंच सकें।
मौसम की ठंडक से चुनौतीपूर्ण हुआ काम
हाल के दिनों में ठंड का असर बढ़ने से मिट्टी के दीये सूखने में समय लग रहा है। इसे देखते हुए कारीगर दीयों को कूलर और पंखों की हवा में सूखा रहे हैं, ताकि समय रहते इन्हें बाजार भेजा जा सके। श्रीनगर रोड स्थित कुम्हार मोहल्ले के निवासी सन्नी प्रजापति बताते हैं कि उनके परिवार ने करीब 20 दिन पहले से इस काम को शुरू कर दिया था। वे कहते हैं, “दीपावली के समय हम सभी लोग मिलकर दिन-रात मेहनत करते हैं, ताकि दीयों की कमी न हो।”
पीढ़ियों से दीयों का काम, मेहनत ज्यादा मुनाफा कम
सन्नी और उनकी पत्नी गुड्डी प्रजापति का कहना है कि उन्हें मिट्टी के दीये बनाते हुए 20-25 साल हो चुके हैं। हालांकि, बढ़ती महंगाई के चलते मेहनत के मुकाबले उन्हें लाभ कम ही मिल पाता है। सन्नी बताते हैं कि हर दिन वे लगभग 5 से 6 हजार दीये बनाते हैं, लेकिन लागत और मेहनत के कारण यह काम अब चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसके बावजूद त्योहार के इस खास मौके पर उनकी पूरी कोशिश रहती है कि लोग अपने घरों में मिट्टी के पारंपरिक दीयों से रोशनी करें।
परंपरा और संस्कृति का संवाहक कार्य
अजमेर के इन कारीगरों का काम न केवल दीपावली की रौनक बढ़ाता है बल्कि पारंपरिक कुम्हार कला को भी जीवित रखता है। मिट्टी की सौंधी खुशबू और इन दीयों की रौशनी से हर साल लाखों लोग अपने घरों को सजाते हैं।