स्वाधीनता सैनानी गहरवार का किया सम्मान
स्वाधीनता के संबंध में हुई चर्चा।
अजमेर 17 नवम्बर। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के कार्यक्रम में बुधवार को स्वतंत्रता सेनानी शोभाराम गहरवार का सम्मान किया गया एवं स्वाधीनता के संबंध में चर्चा की गई।
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कैप्टन अशोक तिवारी ने बताया कि स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत आगामी 15 अगस्त तक विस्तारित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों की श्रृखंला में बुधवार को सूचना केन्द्र में स्वतंत्रता सैनानी शोभाराम गहरवार के सम्मान का कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम जिला प्रशासन, जिला सैनिक कल्याण बोर्ड तथा सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। इसमें गांधीवादी विचारक डी.सुब्बाराव के शिष्य मोहन सिंह टांक तथा रामस्वरूप रक्षक ने आजादी के संबंध में अपने विचार रखे।
स्वतंत्रता सैनानी शोभाराम गहरवार ने अपने संस्मरण साझा किए। उन्होंने कहा कि आजादी हमें महात्मा गांधी, बाबा साहब अम्बेडकर एवं अनगिनत देश भक्तों के प्रयासों से मिली है। इसका महत्व प्रत्येक नागरिक को समझना चाहिए। आजादी के संघर्ष की गाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाए जाने की आवश्यकता है। इसे प्राप्त करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इनके बारे में नई पीढ़ी को जानकारी होनी चाहिए। आजादी के संघर्ष में समाज के हर वर्ग ने अपना योगदान दिया था। वर्तमान में उसी अनुशासन और त्याग की आवश्यकता है।
उन्होेंने कहा कि केसरगंज गोल चक्कर पर बैठक करके आजादी के महत्व के बारे में जानकारी दी जाती थी। पुलिस गिरफ्तार कर लेती थी। स्वाधीनता के संघर्ष से जुड़े व्यक्तियों के पत्र अंग्रेज सरकार द्वारा खोलकर देखे जाते थे। इससे बचने के लिए सैनानियों ने अपनी डाक टोली बनाई थी। जेल में बंद नेताओं के घरों पर राशन, बच्चों की पढाई और शादियों जैसे कार्य कार्यकर्ताओं और सैनानियों ने किए थे।
पूर्व जनसम्पर्क अधिकारी एवं डी. सुब्बाराव के शिष्य मोहन सिंह टांक ने कहा कि स्वाधीनता के आंदोलन का केन्द्र बिन्दु कचहरी रोड स्थित खादी भण्डार के पास घासीजी की धर्मशाला में था। अंग्रेज सरकार के छापों से बचने के लिए बाहर स्थित हलवाई की दुकान पर रद्दी के साथ दस्तावेज रखते थे। अजमेर में आने वाले क्रांतिकारी फॉयसागर स्थित चामुण्डा माता मंदिर के आसपास रूकते थे। उन्हें भोजन आदि श्री दीपक पहुंचाते थे।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अजमेर में तीन बार आए थे। प्रत्येक बार उनका आना किसी महान उद्देश्य को केन्द्र में रखकर होता था। सबसे पहले अक्टूबर1921 में खिलाफत आंदोलन के दौरान शांति स्थापना के लिए उनका अजमेर आना हुआ। उनके साथ मौलाना मोहम्मद अली भी साथ थे। उस समय वे ख्वाजा साहब की दरगाह भी गए थे। गांधी जी के प्रयास से दरगाह में खिलाफत आंदोलन से जुड़े व्यक्तियों से समझाईश की गई। दूसरी बार वे 8 मार्च 1922 को स्वामी कुमारनन्द तथा अर्जुनलाल सेठी के साथ मतभेदों को दूर करके स्वाधीनता के आंदोलन में सक्रिय करने के लिए आए। उस समय नरसिंह बाबा एपं केसरपुरी गोस्वामी से भी राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में चर्चा की। इसके पश्चात तीसरी बार वे 4 जुलाई 1934 को हरिजन उद्धार के उद्देश्य से आए। इस यात्रा में स्वतंत्रता सैनानी अर्जुनलाल सेठी के साथ ट्राम्बे स्टेशन स्थित मैला कुण्ड पर जाकर मैला ढ़ोने की प्रथा खत्म करने का आह्वान किया। इसके पश्चात् उन्होंने आनासागर बारादरी पर आमसभा की।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी पर अलवर के शोभालाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तक एक मात्र अधिकृत पुस्तक है। इसके 500 से अधिक पृष्ठों में प्रमाणिक जानकारियां दी गई है। इस पुस्तक के अनुसार वे कचहरी रोड पर वर्तमान खादी भण्डार के ऊपर रहने वाले स्वतंत्रता सैनानी गौरीशंकर भार्गव के घर पर ही तीनों बार रूके थे। इस संबंध में कई व्यक्तियों ने अपने घर ले जाने के दावे किए थे, जो सरासर कपोल कल्पित है।
गांधीवादी विचारक डी सुब्बाराव तथा विनोबा भावे के शिष्य रामस्वरूप रक्षक ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ही मानव जाति का सार छुपा हुआ है। इसके समता एवं बंधुतत्व को स्वीकार करने से ही व्यक्ति श्रेष्ठ बन सकता है। आज भी देश के विभाजन का घांव सभी के दिल में है। सर्वपंथ समागम से अखण्ड भारत का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। पर्यावरण प्रेमी शांतिकारी युवा, लोकतंत्र में सजग मतदाता तथा अखण्डताकारी सर्वदल होने से बंधुता सिद्ध हो जाएगी। रक्षक अविवाहित है तथा समाजसेवा के क्षेत्र में अभी भी सक्रिय है।
इस अवसर पर जनसम्र्क अधिकरी संतोष प्रजापति, स्वाधीनता के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के प्रभारी अधिकारी रामविलास जांगिड एवं डॉ. राकेश कटारा उपस्थित थे।