महिला अधिकारिता विभाग ने किया महिलाओं का उन्नयन।
अजमेर, 6 दिसंबर। वर्तमान सरकार के 3 वर्षों में महिला अधिकारिता विभाग के द्वारा महिलाओं के उन्नयन में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया गया।
महिला अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक राजेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया कि विभाग द्वारा महिलाओं को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं। वर्तमान सरकार के तीन वर्षों के दौरान इस दिशा में विशेष कार्य हुए हैं। समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच एवं जागरूकता पैदा करने का कार्य विभाग द्वारा नियुक्त साथिन द्वारा किया जाता है। ग्राम साथिन गांव की महिलाओं की प्रतिनिधि के रूप में कार्य करती है। गत तीन वर्षों में 50 साथिनों का चयन किया गया है। साथ ही जिले की ग्राम पंचायतों का पुर्नगठन होने एव नव सृजित ग्राम पंचायतों सहित रिक्त 75 ग्राम पंचायतों में साथिन चयन की कार्यवाही प्रशासन गांवों के संग अभियान के अन्तर्गत प्रक्रियाधीन है। इन शिविरों में अब तक 32 साथिनों के चयन की कार्यवाही पूर्ण की गई है।
उन्होेंने बताया कि सामूहिक विवाह आयोजनों को प्रोत्सािहत करने तथा विवाह में होने वाले अपव्यय को कम करने के लिए आर्थिक अनुदान देने, बाल विवाह एवं दहेज जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगाने के उद्वेश्य से राजस्थान सरकार द्वारा प्रवर्तित की गई राजस्थान सामूहिक विवाह एवं अनुदान योजना संचालित है। तीन वर्षों की समयावधि में 24 समाजों द्वारा विभिन्न अवसरों पर सामूहिक विवाह आयोजित करवाए जाने पर 532 जोड़ों को 87 लाख 68 हजार रूपए का अनुदान दिया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि स्वंय सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित मूल्य संवर्दित उत्पादों को प्रदर्शन एवं विपणन का अधिकतम अवसर प्रदान करने एवं इन उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के उद्वेश्य से विभाग द्वारा जिले में संभाग स्तरीय अमृता हाट का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश के विभिन्न अंचलो से आयी 75 महिला स्वंय सहायता समूह की महिलाओं ने अपने द्वारा निर्मित उत्पाद सामग्री का विपणन कर 21.68 लाख रूपए की बिक्री की।
उन्होंने बताया कि राज्य में महिलाओं को आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाने की दृष्टि से स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। योजना के तहत 1597 समूहों को अमृता सोसायटी से जोड़ा गया। इसी प्रकार स्वंय सहायता समूहों के सदस्यों को विभिन्न प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ-साथ उनके द्वारा उत्पादित किए जाने वाले उत्पादों के विपणन तथा महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं के लिए संचालित कार्यक्रमों के लिए एक मंच उपलब्ध कराने के लिए धन लक्ष्मी महिला समृद्धि केन्द्र स्थापित किए गए हैं। ये केन्द्र महिला संदर्भ केन्द्र के रूप में कार्य करेंगे। वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान जिले में ब्लॉंक-किशनगढ़ ग्रामीण (सिलोरा), केकड़ी एवं अरांई में भवन बनकर तैयार हो गए है।
उन्होंने बताया कि महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र पर उत्पीड़ित एवं निराश्रित महिलाओं की व्यथा का निराकरण किया जाता है। केन्द्र पर तीन वर्षों की समयावधि में 1269 प्रकरण प्राप्त हुए। इनमें से 1251 प्रकरणों का निस्तारण कर महिलाओं को राहत पहुंचाई गई। इसी प्रकार वन स्टॉप सेन्टर सखी केन्द्र पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही स्थान पर आवश्यकतानुसार एवं 24 घण्टे के लिए चिकित्सकीय, पुलिस, विधिक, परामर्श सेवाऎं एवं अस्थाई आश्रय संबंधी सुविधाएं प्रदान की जाती है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में केन्द्र को 835 प्रकरण प्राप्त हुए। इनमें से 829 प्रकरणों का निस्तारण किया जा
प्रकरणों का निस्तारण किया जा चुका है। विभाग द्वारा घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम के माध्यम से 108 प्रकरणों में राहत प्रदान की गई।
उन्होंने बताया कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना में 54 विद्यालयों को 8 लाख 10 हजार रूपए एवं 52 छात्राओं को 3 लाख 10 हजार रूपए की राशि वितरित की गई। इस योजना के अन्तर्गत जिंग्लस कार्यक्रम सहित बालिका के जन्म पर अभिभावकों को दिए जाने वाले बधाई संदेश का वितरण किया गया। साथ ही एक हजार मातृ-शिशु किटाें का वितरण भी किया गया है। महिला शक्ति प्रशिक्षण एवं कौशल संवद्र्धन योजना से 7 हजार 878 बालिकाओं एवं महिलाओं को जोड़ते हुए प्रशिक्षण संस्थान को एक करोड 6 लाख 35 हजार 300 रूपए का भुगतान किया गया। फाइनेसिंयल एकाउंटिंग में 638 महिलाओं एवं बालिकाओं को लाभान्वित करते हुए प्रशिक्षण संस्थान को 22 लाख 96 हजार 800 रूपए का भुगतान किया गया। शिक्षा सेतु योजना के द्वारा 4 हजार 909 छात्राओं के आवेदन राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के भरवाए गए। साथ ही 15 हजार 589 पौधारोपण कार्य कन्या वाटिका के अन्तर्गत किया गया।