उत्तराखंड राज्य की स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर दून विश्वविद्यालय में प्रवासी उत्तराखंड सम्मेलन का उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। इस सम्मेलन में देश के 11 राज्यों से लगभग 199 प्रवासी उत्तराखंडी शामिल हुए। कार्यक्रम में दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट और राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत भी उपस्थित थे।
सम्मेलन में कुल 290 प्रवासियों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से करीब 200 प्रवासी सम्मेलन में पहुंचे। इन प्रवासियों में विभिन्न क्षेत्रों के लोग शामिल थे, जैसे राजनीति, कला और प्रशासन। प्रवासियों ने उत्तराखंड के 25 वर्षों के विकास पर संतोष व्यक्त किया और अपने अनुभव साझा किए। कई प्रवासी ने अपने गांवों को गोद लेने और विकास कार्यों में सक्रिय भागीदारी की प्रतिबद्धता भी जताई।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रवासियों को राज्य के सच्चे ब्रांड एंबेसडर बताया और उनके योगदान को राज्य के विकास में महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि प्रवासी उत्तराखंडी देश और विदेश में उत्तराखंड का मान बढ़ा रहे हैं।
सम्मेलन का पहला सत्र “जल, जंगल और जमीन” पर केंद्रित रहा, जिसमें वक्ताओं ने विकास और पर्यावरण के संतुलन के महत्व पर चर्चा की। डॉ. अनिल जोशी ने उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों की अहमियत पर जोर दिया, जबकि अन्य वक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण और ई-टूरिज्म के विकास की आवश्यकता पर विचार व्यक्त किए।
पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने उत्तराखंड की विरासत को ईमानदारी और परिश्रम से जोड़ा, और प्रवासियों को राज्य के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। विधायक विनोद चमोली ने भी प्रवासी उत्तराखंडियों से अपील की कि वे अपने कौशल के अनुसार राज्य के विकास में सहयोग करें।
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